एक शताब्दी से भी अधिक अपने सफ़र में बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने देश और समाज हित में हासिल उपलब्धियों और ऊंचाइयों के कई मकाम तय किए हैं। बैंक के इतिहास के पन्नों को पलटते ही बैंक की यात्रा के हर पड़ाव पर एक नई मंजिल हासिल होती दिखती है। बैंक के संस्थापक महाराजा सयाजीराव गायकवाड़-III ने बैंक की स्थापना के साथ ही तत्कालीन बड़ौदा राज्य में शिक्षा, कला, साहित्य और अपनी भाषाओं की तरक्की के लिए बेहतरीन कार्य किया। बैंक ऑफ़ बड़ौदा को बैंकिंग के साथ ये सारे संस्कार भी विरासत में मिले हैं। शायद यही कारण है कि अपनी स्थापना के एक शताब्दी के बाद भी बैंक ऑफ़ बड़ौदा अपने बुनियादी मूल्यों से मजबूती से जुड़ा है। महाराजा ने सयाजी भाषा कोश की रचना करवाकर भाषा के प्रति अपना विशेष योगदान दिया। यह महाराजा सयाजीराव गायकवाड़-III और उनके बाद बैंक के शीर्ष प्रबंधन का समय-समय पर मार्गदर्शन का प्रतिफल है।
बैंक ने राजभाषा कार्यान्वयन के क्षेत्र में अपने उल्लेखनीय योगदान को जारी रखा है। महाराजा द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए अद्वितीय योगदान को आगे बढ़ाते हुए बैंक ने अपनी भाषायी यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किए हैं। वर्ष 1974 में बैंक में राजभाषा विभाग की स्थापना की गई। इसी वर्ष डॉ. सोहन शर्मा की नियुक्ति बैंक के प्रथम राजभाषा अधिकारी के रूप में हुई। बैंक में राजभाषा विभाग की स्थापना के साथ बैंक के कॉर्पोरेट कार्यालय तथा अधीनस्थ अंचल, क्षेत्रीय कार्यालय, शाखाओं आदि में भारत सरकार की अपेक्षाओं के अनुरूप राजभाषा कार्यान्वयन की यात्रा आगे बढ़ी। तदनुसार अंचल कार्यालयों में भी राजभाषा अधिकारियों की नियुक्ति का कार्य भी आगे बढ़ा। जून 1984 में संसदीय राजभाषा समिति की तीसरी उप समिति ने बैंक के केंद्रीय कार्यालय, मुंबई का निरीक्षण दौरा किया। समय के साथ बैंक में राजभाषा की गतिविधियां अखिल भारतीय स्तर का स्वरूप ले चुकी थीं। वर्ष 1985 में दक्षिण भारत में कार्यपालकों के लिए पहली बार हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया।
अस्सी के दशक में बैंक की गृह पत्रिका बैंक ऑफ़ बड़ौदा न्यूज का नाम बदलकर ‘बॉबमैत्री’ रखा गया। ‘बॉबमैत्री’ आज बैंकिंग जगत में गृह पत्रिका की श्रेणी में विशिष्ट स्थान बना चुकी है। यह बैंक के स्टाफ सदस्यों के ज्ञानवर्धन के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता के विकास हेतु उन्हें एक समुचित और उपयोगी प्लेटफॉर्म प्रदान कर रही है।
वर्ष 2004 में बैंक की तिमाही हिंदी पत्रिका ‘अक्षय्यम्’ की शुरूआत की गई। इस पत्रिका ने भी काफी कम समय में बैंकिंग और भाषा जगत में अपनी विशिष्ट स्थान बनाई है। बैंक की इस पत्रिका को राजभाषा के क्षेत्र में भारत सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार के तहत वर्ष 2012 में इंदिरा गांधी राजभाषा शील्ड और 2021 में कीर्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक सहित अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।
बैंक ने देश के जन समुदाय विशेषकर युवा पीढ़ी के बीच संपर्क भाषा हिंदी को लोकप्रिय बनाने तथा बैंक की स्थापित ब्रांड को और अधिक विकसित करने और अंतत: बैंक के व्यवसाय विकास के उद्देश्य से बैंक के शताब्दी वर्ष 2007 से विभिन्न विश्वविद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कृत करने के लिए “बड़ौदा मेधावी विद्यार्थी सम्मान” नामक योजना शुरू की है। योजना के तहत एम.ए. हिंदी की अंतिम वर्ष की परीक्षा में विश्वविद्यालय स्तर पर प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले चयनित विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नकद पुरस्कार तथा प्रशंसा पत्र प्रदान किए जाते हैं। यह योजना देशभर के चुनिंदा विश्वविद्यालयों में लागू की गई है। इस पुरस्कार के तहत प्रथम पुरस्कार के रूप में ₹11,000/- तथा द्वितीय पुरस्कार के रूप में ₹7,500/- तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है।
बैंक ने भाषा के क्षेत्र में एक अभिनव शुरुआत करते हुए वर्ष 2015 में ‘महाराजा सयाजीराव भाषा सम्मान’ की शुरूआत की। इस पुरस्कार के तहत बैंक ने वर्ष 2015 में श्री प्रसून जोशी, वर्ष 2016 में श्री आशुतोष राणा, वर्ष 2017 में श्री शैलेष लोढ़ा, वर्ष 2018 में श्री अन्नू कपूर और वर्ष 2019 में सुश्री श्वेता सिंह जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों को सम्मानित किया है। इसके अलावा बैंक ने लोकभाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली हस्तियों को सम्मानित करने के लिए ‘महाराजा सयाजीराव लोक भाषा सम्मान’ की शुरूआत की है। इस योजना के तहत बैंक द्वारा वर्ष 2019 में पद्मश्री प्रो. गणेश देवी, वर्ष 2021 में भाषाविद् श्री बिक्रम चौधरी तथा वर्ष 2022 में पद्मश्री मालिनी अवस्थी जैसी नामचीन हस्तियों को सम्मानित किया गया है।
बैंक ने स्वयं को भविष्य की बैंकिंग के लिए पूरी तरह से तैयार रहने हेतु अपने उत्पादों को विविध, ग्राहकोन्मुखी और डिजिटाइज करने पर अत्यधिक ध्यान दिया है। बैंक ने डिजिटल क्रांति को आत्मसात करते हुए ग्राहकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सभी सुविधाएं उनकी भाषा में उपलब्ध करवाने का उल्लेखनीय प्रयास किया है जिसके अंतर्गत लेनदेन संबंधी एसएमएस, व्हाट्सऐप बैंकिंग, बॉब वर्ल्ड, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम इंटरफेस आदि सुविधाओं में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की है।
भाषायी यात्रा को अनवरत जारी रखते हुए बैंक द्वारा राष्ट्रीय स्तर का एक अनूठा सम्मान स्थापित किया गया है जो न केवल बैंकिंग उद्योग में बल्कि राष्ट्रीय स्तर का एक अद्वितीय पुरस्कार है। बैंक ने भारतीय भाषाओं में प्रकाशित उपन्यासों के हिंदी संस्करण को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में लेखन को भी बढ़ावा देने के लिए “बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान” की शुरूआत की है। इस सम्मान की घोषणा बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री संजीव चड्ढा द्वारा दिनांक 19 – 21 जनवरी, 2023 को जयुपर में आयोजित ‘जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल’ के दौरान की गई।