आज की छोटी बचत कल की बड़ी खुशी के लिए
- पूरे कार्यकाल हेतु आरओआई में लॉक करें
- 6 से 120 महीने का कार्यकाल
- सुनिश्चित रिटर्न
बॉब एसडीपी (एक आवर्ती जमा योजना)
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Introduction
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लाभ
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विशेषताएं
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सबसे महत्वपूर्ण नियम और शर्तें (एमआईटीसी)
बॉब एसडीपी (एक आवर्ती जमा योजना) : Introduction
bob SDP (Systematic Deposit Plan) - a recurring deposit scheme designed to offer flexibility, competitive returns, and financial security to individuals. The product reflects the Bank’s commitment to provide innovative and accessible savings solutions to customers with an opportunity to earn a higher rate of interest and build a corpus through regular savings.
With monthly contributions starting as low as ₹50 for rural & semi-urban areas and ₹100 for urban & metro areas, the bob SDP aims to make savings a habit for a wider population. It also offers additional interest rates to senior citizens, further incentivizing regular savings. Depending on the tenure, senior citizens can benefit by getting higher rates of interest up to 1%, giving them a robust option to grow their post-retirement funds.
Unlike SIPs in Mutual Funds where NAV of a particular Mutual Fund is dependent on market dynamics and the number units of the particular Fund are added to one’s portfolio according to the NAV value of the Fund as on a particular date and hence, number of units added may increase or decrease every month, in bob SDP the rate of interest is locked for the entire tenure opted for even though contributions are made monthly and there is assurance for depositors of the total amount of Corpus which will be accumulated over a period of time.
Further, in SIP the date of monthly contribution is fixed for a particular date every month, whereas in bob SDP one can deposit the monthly amount on any day of that month with the depositor getting a period of 30 days to deposit the monthly contribution.
In addition, what sets this plan apart is the flexibility it provides. Customers can take advantage of loan and overdraft facilities of up to 95% of the deposited amount, ensuring liquidity in times of need without sacrificing their savings. Interest is compounded quarterly and credited on maturity, boosting the overall returns for depositors.
To sum up, the features and benefits of bob SDP are as follows:
- Regular savings – Encourages and incentivises the savings habit with monthly contributions helping depositors accumulate a substantial corpus at the end of the term.
- Contributions can be made for as low as Rs 50 onwards in rural and semi-urban and Rs 100 onwards in urban and metro and can be increased as per the requirement of customers.
- Choose from a range of tenures starting from 6 months to 120 months (10 years).
- Assured returns with zero market volatility.
- Lock in Rate of Interest for the entire tenure opted for.
- Instant Loans / OD upto 95% of the Deposit amount.
bob SDP is part of Bank of Baroda’s strategy to offer customers a scheme that promotes a regular savings habit, with the potential to earn higher interest on deposits while the tenure and recurring instalments can be chosen by them as per their choice and liquidity plan. bob SDP stands as a valuable tool for those looking to build a sizable corpus for their future goals.
बॉब एसडीपी (एक आवर्ती जमा योजना) : लाभ
बॉब एसडीपी (एक आवर्ती जमा योजना) : विशेषताएं
उत्पाद का स्वरूप | एक बुनियादी मासिक बचत योजना, जो ग्राहकों को तरलता के साथ उच्च रिटर्न के लिए अपनी बचत को विनियमित करने में मदद करती है. |
मुख्य लाभ |
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पात्रता |
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लक्ष्य समूह | नाबालिग, किसान, वेतनभोगी लोग, व्यवसायी, स्वरोजगार, पेशेवर, व्यापारी, गृहिणियों सहित सभी व्यक्ति. क्लब, संघ, शैक्षिक संस्थान, सोसायटी, भागीदारी और संयुक्त स्टॉक कंपनियां |
किस्तों का अंतराल | मासिक |
किश्त राशि |
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अवधि: | न्यूनतम 6 महीने और अधिकतम 120 महीने, यानी आरडी की अवधि 6,9,12,15,18,21,24…………120 महीने के लिए हो सकती है. |
जमा की परिपक्वता | |
ब्याज दर |
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नामांकन सुविधा | नामांकन सुविधा उपलब्ध होगी. |
स्रोत पर कर कटौती | ब्याज भुगतान प्रचलित आयकर अधिनियम के अनुसार स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के अधीन है. |
जमाराशियों की जमानत पर ऋण/ओवरड्राफ्ट की उपलब्धता |
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अन्य नियम व शर्तें | आवर्ती जमा पर लागू अन्य सभी नियम व शर्तें इन उत्पादों के तहत भी लागू होंगी. |
किश्त के भुगतान में विलाभ होने पर : |
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समयपूर्व खाताबंदी |
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Tax Deduction At Source | Interest payment is subject to Tax Deducted at source (TDS) as per prevailing Income Tax ACT. However, tax is deducted at source (TDS) on deposits that earn interest more than Rs 40,000/- in a financial year. |
बॉब एसडीपी (एक आवर्ती जमा योजना) : सबसे महत्वपूर्ण नियम और शर्तें (एमआईटीसी)
- निवासी वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज दर: बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार निवासी वरिष्ठ नागरिकों को मात्र रु. 3.00 करोड़ से कम जमाराशि पर अतिरिक्त ब्याज देय है। वरिष्ठ नागरिक दर एनआरई/एनआरओ/पूंजीगत लाभ/एफसीएनआर पर लागू नहीं है। नवीनतम दरों के लिए, कृपया हमारे बैंक के वेबसाइट लिंक पर जाएं
- नामांकन की सुविधा : नामांकन की सुविधा उपलब्ध
- स्रोत पर कर कटौती: आयकर नियमों के अनुसार टीडीएस की कटौती की जाएगी. यदि कोई व्यक्ति फॉर्म 15G/15H लागू जमा करता है तो कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा.
- परिपक्वता पर या उससे पहले ब्याज की गणना की विधि: "घरेलू सावधि जमा के सभी मामलों में जहां टर्मिनल तिमाही अधूरी है, ब्याज की गणना वर्ष 365/366 दिनों की गणना करते हुए, वास्तविक दिनों की संख्या के लिए की जानी चाहिए, अर्थात ब्याज की गणना ऐसी जमाराशियों पर पूर्ण तिमाहियों और दिनों के क्रम में होना चाहिए. ब्याज की गणना और चक्रवृद्धि तिमाही अंतराल पर की जाएगी.
- कॉलेबल जमाराशि के अवज में अग्रिम: यह सुविधा एकल नाम और एचयूएफ में नाबालिक के नामे खाते में उपलब्ध नहीं होगा। यदि ब्याज 2 तिमाहियों से अधिक समय तक जमा नहीं किया जाता है, तो सावधि जमा की राशि को तत्काल ही समायोजित कर दिया जाएगा।
- अग्रिम देय (नॉन-कॉलेबल जमाराशि के अलावा): बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार नॉन-कॉलेबल पात्र जमाराशि के प्रतिभूति के अवज में जारी ऋण / ओवरड्राफ्ट / अग्रिम सुविधा उपलब्ध नहीं है।
- टीडीएस प्रमाणपत्र: सभी ग्राहकों को टीडीएस प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा.
- अतिदेय जमा: यदि परिपक्वता की तारीख के बाद नवीकरण अनुरोध प्राप्त होता है, तो ऐसी अतिदेय जमाराशि परिपक्वता की तारीख से देय तिथि पर लागू ब्याज दर पर नवीकृत की जाएगी, बशर्ते ऐसा अनुरोध जमा की परिपक्वता के 14 दिनों के भीतर प्राप्त हो, जिसके बाद ब्याज अतिदेय अवधि के लिए बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित दर पर भुगतान किया जाएगा.
- जमाराशियों के एवज में अग्रिम: यह सुविधा नाबालिग खाते में एकल नाम और एचयूएफ में उपलब्ध नहीं है. यदि ब्याज 2 तिमाहियों से अधिक के लिए जमा नहीं किया जाता है, तो सावधि जमा को तुरंत विभाजित किया जाएगा.
- ग्राहक के अनुरोध पर उपलब्ध ब्याज प्रमाणपत्र
- जमा प्रमाणपत्र : सावधि जमा रसीद प्रदान की जाती है
- ग्राहक के अनुरोध पर सावधि जमा को एक शाखा से दूसरी शाखा में अंतरित किया जा सकता है.
- भुगतान का माध्यम : परिपक्वता राशि ग्राहक के बचत बैंक/चालू खाते में जमा की जाती है. ऐसे मामलों में जहां ग्राहक के कोई ऑपरेटिव खाते नहीं हैं, रू. 20,000 से कम की परिपक्वता राशि नकद में दी जा सकती है उससे अधिक राशि हेतुर डीडी/पे आर्डर जारी किया जाएगा.
- 10 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए अधिकतम रु. 1,00,000 तक की राशि के साथ नाबालिग खाते खोले जा सकते हैं.
बल्क जमा (रु. 3.00 करोड़ एवं उससे अधिक)
- "थोक जमा" का अर्थ है रु. 3.00 करोड़ एवं उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा (दिनांक 07.06.2024 RBI/2024-25/40 DoR.SPE.REC.No.24/13.03.00/2024-2025 ।)
- यदि एक ही दिन में रु. 3.00 करोड़ एवं उससे अधिक की कुल राशि वाले कई जमा किए जाते हैं, लेकिन वे अलग-अलग तारीखों पर परिपक्व होते हैं, तो यह बल्क जमा के विभाजन के बराबर नहीं होगा। साथ ही एक ही दिन में रु. 3.00 करोड़ और उससे अधिक की कुल राशि वाले कई जमा बनाए जाते हैं, जिनकी परिपक्वता अवधि समान होती है, लेकिन अलग-अलग विशिष्ट उद्देश्यों के लिए हो तो, यह थोक जमा के विभाजन के बराबर नहीं होगा। बशर्ते ग्राहक इसके लिए सहायक दस्तावेज प्रस्तुत करें।
ब्याज भुगतान :
- भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार सावधि जमाराशियों पर ब्याज की गणना तिमाही चक्रवृद्धि अंतराल पर की जाएगी और जमाराशियों की अवधि के आधार पर बैंक द्वारा निर्धारित दर पर भुगतान किया जाएगा. मासिक जमा योजना के मामले में ब्याज की गणना चक्रवृद्धि आधार पर तिमाही के लिए की जाएगी और डिस्काउंटिड वैल्यू पर मासिक भुगतान किया जाएगा. सावधि जमाओं बैंक द्वारा पर ब्याज की गणना भारतीय बैंक संघ द्वारा बताए गए सूत्रों और विधि के अनुसार की जाती है.
- 2 तिमाही और उससे अधिक की जमाराशियों के लिए ब्याज की गणना पूर्ण तिमाहियों के लिए तिमाही चक्रवृद्धि आधार पर की जाती है और जहां अंतिम तिमाही अधूरी होती है वहां ब्याज की गणना वर्ष में 365/366 दिनों को ध्यान में रखते हुए दिनों की वास्तविक संख्या के लिए आनुपातिक रूप से की जाती है.
- जमा रसीद में उल्लिखित परिपक्वता राशि की गणना टीडीएस पर ध्यान दिए बिना की जाती है. छमाही (तिमाही चक्रवृद्धि) के लिए ब्याज की गणना करते समय, पिछली छमाही के लिए गणना किए गए ब्याज (तिमाही चक्रवृद्धि) की राशि में से टीडीएस को घटा कर प्राप्त राशि को चालू छमाही के लिए ब्याज की गणना हेतु मूल राशि में जोड़ा जाएगा.
- 2 तिमाहियों से कम लेकिन 1 तिमाही से अधिक की अल्पावधि जमाराशियों के मामले में पूर्ण तिमाही के लिए साधारण ब्याज का भुगतान किया जाएगा और वर्ष में 365-366 दिनों को ध्यान में रखते हुए शेष दिनों के लिए ब्याज (चक्रवृद्धि किए बिना) दिया जाएगा.
- एक तिमाही से कम की अल्पावधि जमाराशियों के लिए वर्ष में 365-366 दिनों को ध्यान में रखते हुए दिनों की वास्तविक संख्या के लिए अनुपातिक आधार पर ब्याज की गणना की जाती है.
- एफसीएनआर जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान विभिन्न परिपक्वता अवधियों के लिए समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित पद्धति के अनुसार गणना की गई दरों पर किया जाएगा. एफसीएनआर जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान एक वर्ष में 360 दिनों के आधार पर किया जाएगा और प्रत्येक 180 दिनों के अंतराल पर इसकी गणना की जाएगी.
- दिनांक 1 जुलाई, 1995 से सावधि जमाराशियों पर ब्याज भुगतान से स्रोत पर आयकर की कटौती (आयकर अधिनियम 1961 की धारा 194ए) की जाएगी.
- वरिष्ठ नागरिकों के अलावा गैर-कॉर्पोरेट ग्राहक – पैन के साथ फॉर्म नं.15जी (दिनांक 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी).
- वरिष्ठ नागरिक अर्थात् 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति – पैन के साथ फॉर्म नं.15एच (दिनांक 1 अप्रैल, 2010 से प्रभावी). दिनांक 1 अप्रैल, 2010 से आयकर विभाग ने ऐसे सभी मामलों में, जहां टीडीएस लागू है, कटौती करने वालों द्वारा स्थायी खाता संख्या (पैन) उद्धृत करना अनिवार्य कर दिया है, ऐसा न किए जाने पर 20% की उच्च दर (10% की सामान्य दर के आपेक्ष) या सामान्य दर, जो भी अधिक हो, पर टीडीएस की कटौती होगी. इसके अलावा, दिनांक 1 अप्रैल 2010 से फॉर्म संख्या 15जी / 15एच पर पैन का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया गया है.
- बैंक तिमाही आधार पर कटौती की गई कर की राशि के लिए सिस्टम जनरेटेड कर कटौती प्रमाणपत्र (टीडीएस सर्टिफिकेट) जारी करेगा.
- भारत में आयकर अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत एनआरई एवं एफसीएनआर सावधि जमाराशियों पर अर्जित/ उपचित ब्याज भारत में कर मुक्त है और इसलिए इन जमाराशियों के संबंध में स्रोत पर कोई कर कटौती नहीं की जाएगी. “एनआरओ जमाराशियों के मामले में” जमाकर्ता प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में बैंक द्वारा निर्धारित दस्तावेज प्रस्तुत कर डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए), जो भारत ने विभिन्न देशों की सरकारों के साथ किया है, के तहत कर की कम दरों के लाभ हेतु दावा कर सकता है.
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तथापि, एनआरओ सावधि जमा पर प्रदत्त / देय किसी भी ब्याज पर विनिर्दिष्ट दरों पर स्रोत पर कर कटौती करना बैंक का सांविधिक दायित्व है. यदि दोहरा कराधान बचाव संधि (डबल टैक्स अवॉइडेंस ट्रीटी) के तहत लागू घोषणापत्र के साथ पैन प्रस्तुत किया जाता है - ग्राहक के निवास के देश में लागू दर पर टीडीएस की कटौती की जाती है.
- यदि घोषणापत्र के बिना पैन प्रस्तुत किया जाता है - @30% की दर से टीडीएस की कटौती की जाएगी.
- यदि पैन के बिना घोषणापत्र प्रस्तुत किया जाता है - सामान्य दर या 20% की दर, जो भी अधिक हो, से टीडीएस कीकटौती की जाएगी.
- यदि पैन और घोषणापत्र प्रस्तुत नहीं किया है - @30% की दर से टीडीएस की कटौती की जाएगी.
- सभी ब्याज भुगतानों को रुपये में पूर्णांकित किया जाएगा.
- सावधि जमा खाताधारकों को उनकी जमाराशि रखते समय परिपक्वता की तारीख को जमा खाते को बंद करने या आगे की अवधि के लिए जमा के नवीकरण के संबंध में अनुदेश दिए जा सकते हैं. ऐसे अधिदेश के अभाव में बैंक जमा राशि को निम्नानुसार नवीकृत करेगा.
- यदि जमा राशि एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए रखी गई है तो यह नियत तारीख पर प्रचलित दर पर एक वर्ष के लिए स्वतः नवीकृत हो जाएगी.
- यदि जमा राशि एक वर्ष से कम अवधि के लिए रखी गई है तो यह नियत तारीख पर प्रचलित दर पर उसी अवधि के लिए स्वतः नवीकृत हो जाएगी.
तदनुसार बैंक ने निम्नलिखित पद्धति अपनाई है :
“घरेलू सावधि जमाराशि (एक वर्ष से अधिक के लिए रखी गई जमा राशि) के ऐसे सभी मामलों में जहां तिमाही अपूर्ण है वहां ब्याज की गणना पूर्ण तिमाही और वर्ष के 365 / 366 दिनों को ध्यान में रखते हुए वास्तविक दिनों की संख्या के आधार पर की जानी चाहिए अर्थात् ऐसी जमाराशियों पर ब्याज की गणना संपूर्ण तिमाहियों और दिनों के अनुसार की जाएगी.
ऐसे मामलों में आयकर की कटौती की जाएगी जहां किसी जमाकर्ता के नाम पर बैंक में उसके एकल नाम पर या संयुक्त रूप से (पहले नाम वाले व्यक्ति के रूप में) रखी गई सभी सावधि जमाराशियों पर प्रदत्त या जमा कुल ब्याज आयकर अधिनियम, 1961 के तहत प्रति वित्तीय वर्ष के लिए निर्दिष्ट सीमा से अधिक है. कर की कटौती खाते को क्रेडिट करते समय या जमाकर्ता को ब्याज का भुगतान करते समय, इनमें से जो भी पहले हो, की जाएगी, जो समय-समय पर कर सीमा हेतु पात्र ब्याज सीमाओं में परिवर्तन के अधीन होगी.
यदि जमाकर्ता प्रति वर्ष अप्रैल माह की समाप्ति से पहले निम्नलिखित फॉर्म जमा करता है, तो कोई कर कटौती नहीं की जाएगी.
यदि ग्राहक अवधि में परिवर्तन करना चाहता है या सावधि जमा को समयपूर्व आहरित करना चाहता है, तो ग्राहक के लिखित अनुरोध पर इसकी अनुमति है. प्रतिदेय (कॉलेबल) योजना के अंतर्गत रखी गई जमाराशियों के मामले में थोक जमाराशि का समयपूर्व आहरण बैंक के विवेकाधिकार पर किया जाता है.
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