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कैपिटल गेन खाता योजना, 1988
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लाभ
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विशेषताएं
कैपिटल गेन खाता योजना, 1988 : लाभ
कैपिटल गेन खाता योजना, 1988 : विशेषताएं
Scheme Code In Finacle | TD121- CAPITAL GAINS-1988(CUMU) TD122- CAPITAL GAINS-NON CUM-QIP TD144- CAPITAIL GAIN SCHEME- SDR |
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Introduction Of Scheme |
Government of India, Ministry of Finance, Department of Revenue (CBDT) in exercise of the powers conferred upon by Section 54 of the Income Tax Act, 1961 formulated a scheme called "The Capital Gains Account Scheme, 1988". According to the provisions of Section 54 (F) of Income Tax Act,1961 w.e.f. 1.4.1988, an assessed earning long term capital gains on sale of any asset who desires to utilize the net consideration for purchase of residential house within two years (2 years) from the date of sale of the capital asset is exempt from tax on the capital gains provided he deposits the sales consideration in authorized branches of Banks authorized to receive deposits and maintain accounts. The amount deposited in the account is permitted for withdrawal for the purpose of purchase of house for self-residence of the depositor, within two years of receipt of sales consideration. If the amount is not utilized within a period of two years, the long term capital gain on sale of the capital asset shall be subject to tax in the year in which the long term capital gains were earned. For withdrawing money from this account after the period of -2- years is over without purchasing house for self-residence, the permission of Income Tax department is necessary. All branches of public sector banks (except rural branches) are authorized to accept deposits under the scheme. |
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Types Of Account |
The scheme provides for two types of accounts viz.
(In exceptional cases like customers belonging to Bora Muslim community, current account titled A-I can be opened instead of savings deposits). |
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Opening Of Accounts | Any person / firm / association of persons / company / HUF etc.; intending to avail of the benefits under Section 54, 54B,; 54D, 54F and 54G of the Income Tax Act, 1961 (43 of 1961); may open abovementioned accounts. | |||||||||
Other Provisions | Joint accounts cannot be opened under Capital Gains Accounts Scheme, 1988. | |||||||||
Eligibility |
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Minimum Amount Of Deposit | Minimum Amount Rs 1000/- | |||||||||
Maximum Amount Of Deposit | No upper limit. | |||||||||
Period Of Deposit |
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Rate Of Interest |
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Coverage | The Capital Gains Deposit Scheme is operative at all branches except Rural branches. | |||||||||
Nomination Facility | Individual depositor (not being a minor) can make; nominations in favour of one or more persons, but not exceeding three, to receive the amounts standing to his credit in Account A or Account B in the event of his; death before the amount has become payable, or if payable, but not paid. Cancellation or change of nomination made earlier will be allowed. |
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Tax Deduction At Source | Interest payment is subject to Tax Deducted at source (TDS) as per prevailing Income Tax ACT. | |||||||||
Availability Of Loan/Overdraft | Not applicable. | |||||||||
Other Terms And Conditions |
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Premature Closure |
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Withdrawals |
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Closure Of The Account |
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Forms |
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सहायता चाहिए ?
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टोल फ्री नंबर .
विदेश से कॉल करने वाले
घरेलू ग्राहकों के लिए 24x7 उपलब्धता:
+91 79-66296009
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पूंजीगत लाभ खाता योजना क्या है ?
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 54 (एफ) के अनुसार दिनांक 1.4.1988 से किसी भी संपत्ति की बिक्री से प्राप्त दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ वैसी राशि है जो संपत्ति की बिक्री से प्राप्त होती है. सरकार द्वारा एक विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान किसी विशिष्ट परिसंपत्तियों पर प्राप्त होने वाले पूंजीगत लाभ की राशि के कर-मुक्त पुनर्निवेश को प्रोत्साहित किया जाता है. कभी-कभी निर्धारित समय सीमा के पश्चात रिटर्न दाखिल करने वाले निवेशक वैसे लाभ और छूटों से चूक न जाएं, इसलिए उन्हें इस राशि को पुनर्निवेश करने पर पूंजीगत लाभ प्राप्त होने की गारंटी होती है. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54 और 54 एफ द्वारा दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को कराधान से बचाती है.
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कैपिटल गेन खाते में कौन से ग्राहक अपनी धनराशि जमा कर सकते हैं ?
कोई भी व्यक्ति/फर्म/व्यक्तियों/कंपनी/एचयूएफ आदि का संगठन, जो आयकर अधिनियम 1961 (1961 का 43) की धारा 54, 54बी, 54डी, 54एफ और 54जी के प्रावधानों के अंतर्गत लाभ प्राप्त करना चाहता है, कैपिटल गेन खाता योजना 1988 में अपनी धनराशि जमा कर सकता है.
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आप अपना कैपिटल गेन खाता कहां खोल सकते हैं ?
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सभी शाखाएं (ग्रामीण शाखाओं को छोड़कर) इस योजना के तहत जमा स्वीकार करने हेतु अधिकृत हैं.
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आप अपना कैपिटल गेन खाता कैसे खोल सकते हैं ?
पूंजीगत लाभ खाते इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ अधिकृत शाखाओं में जाकर खोले जा सकते हैं
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हम पूंजीगत लाभ खाते में कब तक पैसा रख सकते हैं ?
इसकी अवधि मूल संपत्ति के हस्तांतरण की तारीख से 2 से 3 वर्षों से अधिक नहीं हो सकती है जिससे संबंधित विवरण नीचे दर्शाया गया है :
अधिकतम 24 महीने - यदि पूंजीगत लाभ धारा 54, 54 बी, 54 एफ के अंतर्गत है (जमाकर्ता द्वारा "फॉर्म" ए में की गई घोषणा के अनुसार)
अधिकतम 36 महीने - यदि पूंजीगत लाभ धारा 54, 54 डी, 54 एफ, 54 जी और 54 जीबी (जमाकर्ता द्वारा "फॉर्म" ए में की गई घोषणा के अनुसार) के तहत है. -
मुझे कैपिटल गेन खाता योजना में कितना निवेश करना चाहिए ?
कैपिटल गेन खाते योजना (सीजीएएस) में निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है.
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पूंजीगत लाभ बॉन्ड (कैपिटल गेन बॉन्ड) के लिए लॉक-इन अवधि क्या है?
खाते में धनराशि जमा होने के 2 वर्षों के भीतर जमाकर्ता के अपने निवास के लिए मकान की खरीद के उद्देश्य से रकम की निकासी हेतु अनुमति प्रदान की जाती है. इस राशि का उपयोग 2 वर्षों की अवधि के भीतर न किए जाने पर पूंजीगत संपत्ति की बिक्री पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ उस वर्ष में कर के अधीन होगा जिस दौरान यह लाभ अर्जित किया गया था.
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आप पूंजीगत लाभ खाता योजना से कैसे निकासी करते हैं ?
कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम से फंड निकालने के लिए फॉर्म सी को पूरा करना अनिवार्य है. इस धनराशि का उपयोग इसकी निकासी के बाद 60 दिनों के अंदर किया जाना चाहिए. यह राशि तत्काल दुबारा खाता में जमा नहीं की जा सकती है. फॉर्म डी का उपयोग करते हुए इस राशि की दूसरी निकासी के लिए आवेदन करें. आहरण की राशि रू. 25,000 से अधिक होने पर इसका भुगतान केवल वैसे व्यक्ति जिसे जमाकर्ता भुगतान करना चाहता है के पक्ष में क्रॉस डिमांड ड्राफ्ट / बैंकर चेक द्वारा किया जाना चाहिए. यदि सावधि जमा खाते से निकासी करना आवश्यक हो तो जमाकर्ता को पहले बचत खाते में परिवर्तन के लिए अनुरोध करना अनिवार्य है.
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क्या पूंजीगत लाभ खाते में ब्याज कर योग्य है?
ब्याज का भुगतान प्रचलित आयकर अधिनियम के अनुसार स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के अधीन है.