बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान के बारे में:
भारत जैसे बहुभाषी देश में सभी भारतीय भाषाओं का प्रयोग महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ये राष्ट्र को विविधता प्रदान करते हुए एक समृद्ध विरासत के निर्माण में सहायक हैं। देश की सभी भाषाएं राष्ट्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं एवम् अपने साहित्य के माध्यम से राष्ट्र की साहित्यिक एवम् सांस्कृतिक विरासत को संपन्न कर रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा आरंभ किया गया ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य को बढ़ाने और आम लोगों के लिए हिंदी में श्रेष्ठ भारतीय साहित्य उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखता है. यह सम्मान भारत में साहित्यिक अनुवाद कार्य को भी प्रोत्साहित करेगा।
‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ के शुभारंभ की घोषणा बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री संजीव चड्ढा द्वारा 20 जनवरी, 2023 को जयपुर में आयोजित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के एक विशेष सत्र में की गई। बैंक द्वारा इस सम्मान की शुरुआत भारतीय भाषाओं में साहित्यिक लेखन कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है।
यह पुरस्कार मूल रूप से क्षेत्रीय भाषाओं (संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल) में लिखे गए चयनित उपन्यास के मूल लेखक और इसके हिंदी अनुवादक, दोनों को ही प्रदान किया जाएगा. इसके तहत प्रति वर्ष सम्मानित उपन्यास के मूल लेखक को रु. 21.00 लाख तथा उस कृति के हिंदी अनुवादक को रु. 15.00 लाख तथा अन्य पांच चयनित कृतियों के लिए प्रत्येक मूल लेखक को रु. 3.00 लाख तथा हिंदी अनुवादक को रु. 2.00 लाख की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी।
बैंक द्वारा इस सम्मान की शुरुआत भारतीय भाषाओं के मूल साहित्य और हिंदी में इनके अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वत्त्वर्ण कदम है. बैंक की इस पहल से न केवल हिंदी भाषा में भारतीय साहित्य के अनुवाद कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि इससे दूसरी भारतीय भाषाओं में भी गुणवत्तापूर्वक लेखन को बढ़ावा मिलेगा। दोनों ही रूप में इससे भारतीय भाषाओं में गुणवत्तापरक लेखन को प्रोत्साहन मिलेगा। यह पुरस्कार साहित्यिक अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने में बेहद कारगर होगा।
बैंक ऑफ़ बड़ौदा इस सम्मान की शुरुआत कर भारतीय भाषा, साहित्य और अनुवाद तीनों क्षेत्रों के लिए अहम योगदान देगा। इस सम्मान से भारतीय भाषाओं में साहित्यिक कृतियों को विशेष सम्मान मिलेगा और यह सम्मान मूल लेखक के साथ अनुवादक को भी प्रदान किया जाएगा।
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